You might have seen girls wearing Naqaabs or scarfs around their face, so people cannot recognise them. But there's people especailly boys always wishing that somehow they able to see the faces of girls they like, always dreaming of those moments when girls remove their masks/Nakaabs.
So today on Myshayari, I've made a collection of Naqaabs Shayari for boys. So if you like any girl who always wearing mask in public or you always wishing to see her face and you want to say this to her through shayari, that O girl please let me see your face, let me admire the creativity of the almighty god, let me see tujhe kitni fursat se banaya hai us rab ne.
जलवों की साजिशों को न रखो हिजाब में,
ये बिजलियाँ हैं रुक न सकेंगीं नक़ाब में।
ये बिजलियाँ हैं रुक न सकेंगीं नक़ाब में।
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का
क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम
क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम
Hindi Love Shayari For Boys
मुझको ये आरज़ू वो उठाएं नकाब खुद,
उन को ये इंतज़ार तकाजा करे कोई।
उन को ये इंतज़ार तकाजा करे कोई।
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की,
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयीं।
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयीं।
इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता
कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ
कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ
Best Shayari In Urdu
खुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में,
बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया।
बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया।
आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो देखेंगे हुस्न-ए-यार
कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी
कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी
उनके खूबसूरत चेहरे से नकाब क्या उतरा,
जमाने भर की नीयत बेनकाब हो गई।
जमाने भर की नीयत बेनकाब हो गई।
Chehre Pe Naqaab Shayari
सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता
नक़ाब क्या छुपाएगा शबाब-ए-हुस्न को,
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है।
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है।
देख कर हम को न पर्दे में तू छुप जाया कर
हम तो अपने हैं मियाँ ग़ैर से शरमाया कर
हम तो अपने हैं मियाँ ग़ैर से शरमाया कर
वो बे-नकाब जो फिरती है गली-कूंचों में,
तो कैसे शहर के लोगों में क़त्ल-ए-आम न हो।
तो कैसे शहर के लोगों में क़त्ल-ए-आम न हो।
Naqaab Shayari In Hindi
तुम जो पर्दे में सँवरते हो नतीजा क्या है
लुत्फ़ जब था कि कोई देखने वाला होता
लुत्फ़ जब था कि कोई देखने वाला होता
है देखने वालों को सँभलने का इशारा
थोड़ी सी नक़ाब आज वो सरकाए हुए हैं
थोड़ी सी नक़ाब आज वो सरकाए हुए हैं
So these were Girls Naqaab Shayari in Hindi, I hope you liked it. Don't forget to read our other collections. You can also share this page with your facebook friends.
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